कांग्रेस के नेता अब भी अपना चेहरा देखने और गलतियों से सबक सीखने के लिए तैयार नहीं है
देहरादून । भाजपा ने पत्रकारों पर कांग्रेसियों द्वारा किए हमले के लिए कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा को जिम्मेदार ठहराते हुए नैतिकता के आधार पर उनके इस्तीफे की मांग की है।
प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि केदारनाथ में हार से निराश कांग्रेसी सबको अपना विरोधी मान रहे है। इस घटना ने खाली किताब को संविधान बताने वाले नेताओं वाली पार्टी की पोल पुनः लोकतान्त्रिक विश्वास पर खोल दी है।
उन्होंने कल पत्रकारों के एक कार्यक्रम के दौरान हुई इस घटना को लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ पत्रकारिकता पर हमला बताया। उन्होंने कहा जिस दौरान यह सारा वाक्या हुआ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा वहां मौजूद थे और अपने कार्यकर्ताओं को समझाने के बजाय उकसाते नजर आए। एक राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का यह आचरण बेहद शर्मनाक है। लिहाजा उन्हें तत्काल नैतिकता के आधार कर इस्तीफा देना चाहिए। भट्ट ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा चौथे स्तंभ पर हमले के लिए उकसाया गया, जिसके कारण ही उनके कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसे लोकतंत्र के लिए किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
भट्ट ने कहा कि कांग्रेस के लोग केदारनाथ की हार से पूरी तरह निराश हैं। यही वजह है कि बौखलाहट में उन्हें अब प्रत्येक व्यक्ति अपना विरोधी लगने लगा है। इसलिए वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी प्रताड़ित करने का काम करने लगे हैं। इस प्रकार के कृत्य करने का अधिकार किसी को नहीं है। जिस प्रकार से चौथे स्तंभ पर यह हमला किया गया, वह लोकतंत्र के लिए भी बेहद घातक है।
उन्होंने निशाना साधा कि कांग्रेस की भ्रम, झूठ और अफवाह की राजनीति को जनता अच्छी तरह पहचान चुकी है। यही वजह है कि उनकी कल की रैली में उठाए तमाम मुद्दों समय समय पर लोग उन्हें आइना दिखा चुके हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता अब भी अपना चेहरा देखने और गलतियों से सबक सीखने के लिए तैयार नहीं है। आज स्थिति यह है कि उसके कार्यक्रमों का जनता बहिष्कार कर रही है चुनाव मे उसे जनता ने किनारे लगा दिया है।
यही वजह है कि यह लोग अपनी खीज इसी तरह निकलते हैं। पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष उत्तराखण्डियों और विशेषकर गढ़वाल के लोगों के लिए पार्टी कार्यक्रमों में नहीं आने पर थूकने जैसे अभद्र भाषा का प्रयोग कर चुके हैं। जिस पर उन्हें माफी भी मांगी, लेकिन लगता है इस तरह का व्यवहार कांग्रेस का शिष्टाचार बन गया है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि खाली पन्नों वाली किताब को संविधान बताकर घूमने वाले नेताओं वाली पार्टी से लोकतंत्र पर हमले की ऐसी ही उम्मीद की जा सकती है।