कांग्रेस पार्टी बहुत सोच विचार कर समान नागरिक संहिता पर अपना मुद्दा रखेगी।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि अभी स्थिति साफ नहीं है, लेकिन 3 जुलाई को बैठक के बाद परिस्थिति क्या होगी, कुछ नहीं कहा जा सकता है. जब कोई मसौदा आएगा और चर्चा होगी, तो हम हिस्सा लेंगे और जो प्रस्तावित होगा, उसकी समीक्षा करेंगे. फिलहाल, हमारे पास प्रतिक्रिया के लिए केवल विधि आयोग का सार्वजनिक नोटिस है. समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग या कानून मंत्रालय की ओर से कोई अन्य रिपोर्ट समिति के सदस्यों को उपलब्ध नहीं कराई गई है. वर्तमान विधि आयोग (22वें) ने अभी तक पर्सनल लॉ (समान नागरिक संहिता) पर अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है और कांग्रेस इस विषय पर विधि आयोग और केंद्रीय कानून मंत्रालय के विचारों का इंतजार करेगी.
समान नागरिक संहिता का मसौदा सामने नहीं आया है. इसमें क्या होगा और नहीं, इसके बारे में अभी कांग्रेस पार्टी या विपक्ष के पास कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में इस मुद्दे पर कुछ भी बोलना अंधेरे में तीर चलाने जैसे होगा. फिर इस साल देशभर के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. भाजपा ने लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार कर ली है और उस पर काम भी शुरू कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस भी हर मुद्दे पर बड़ी सावधानी से बयानबाजी कर रही है. समान नागरिक संहिता पर एक गलत बयान, कांग्रेस पर आगामी चुनावों के लिए बेहद भारी पड़ सकता है. इतिहास इसका गवाह रहा है. शायद यही वजह है कि कांग्रेस यूसीसी पर वेट एंड वॉच की रणनीति अपना रही है.
कांग्रेस शनिवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपने घोषित रुख पर कायम रही और कहा कि यह इस स्तर पर अवांछनीय है, और कहा कि अगर इस मुद्दे पर कोई मसौदा विधेयक या रिपोर्ट आती है, तो वह आगे टिप्पणी करेगी. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संसदीय रणनीति समूह की बैठक की, जहां उन्होंने 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “जब कोई मसौदा होगा और चर्चा होगी, तो हम भाग लेंगे और जो प्रस्तावित है उसकी जांच करेंगे. फिलहाल, हमारे पास प्रतिक्रिया के लिए केवल कानून आयोग का सार्वजनिक नोटिस है.”
यूनिफॉर्म सिविल कोड कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है, जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है और यह विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से निपटने में धर्म पर आधारित नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में समान नागरिक संहिता पर ज़ोर देकर इस मुद्दे को उठाया था और पूछा था कि देश व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले दोहरे कानूनों के साथ कैसे काम कर सकता है? साथ ही विपक्ष पर यूसीसी के मुद्दे का उपयोग कर मुस्लिम समुदाय को “गुमराह करने और भड़काने” का आरोप लगाया था.