जब दुनिया में खाना और पानी खत्म होने के कगार पर हो, तो इंसानों की क्या हालत होगी? जब दुनिया खत्म होने को आएगी तो इंसान, कितना इंसान बचेगा? वो शायद दीवारों पर डिशेज के नाम लिखकर खुद को जिंदा रखे… या फिर भूख के मारे किसी टीन के कंटेनर में मर जाए और सड़-गल कर कंकाल बन जाए. लेकिन वो हालात कैसे होंगे?
साउथ की पॉपुलर एक्ट्रेसेज में से एक श्रद्धा श्रीनाथ और दमदार एक्टर्स में गिने जाने वाले किशोर की एक नई फिल्म आ रही है- कलियुगम. फिल्म का ट्रेलर हाल ही में आया है और इसे देखने वालों के मुंह खुले रह जा रहे हैं. फिल्म की कहानी, अपने अंत के करीब पहुंच चुकी दुनिया पर बेस्ड है.
दुनिया के अंत यानी एपोकलिप्स की कल्पना करना कई कहानीकारों के लिए एक फेवरेट टॉपिक रहा है. और इस मरती दुनिया यानी पोस्ट-एपोकलिप्स संसार की जिंदगी को कई फिल्मों ने पर्दे पर दिखाने की कोशिश की है. फ्यूचर में भयानक कष्टों से भरी किसी जिंदगी की इस कल्पना को डिस्टोपिया भी कहते हैं. साइंस-फिक्शन की ही तरह भविष्य की इस डिस्टोपियन, पोस्ट-एपोकलिप्स दुनिया पर भी कई बेहतरीन फिल्में बनी हैं. याद करना शुरू करें तो ‘मैड मैक्स’ फ्रेंचाइजी, ‘द रोड’ (2009) या विल स्मिथ की ‘आई एम लेजेंड’ (2007) जैसे नाम सबसे पहले याद आते हैं.
इंडियन सिनेमा में इस थीम को बहुत ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया गया है. थोड़ा जोर देने पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जैकी भागनानी की शॉर्ट फिल्म ‘कार्बन’ या तेलुगू में बनी ‘आदित्य 369’ जैसे कुछ गिने-चुने नाम याद आते हैं. हालांकि, इन फिल्मों का लेवल किसी भी तरह से, उन दिलचस्प फिल्मों की तरह नहीं है जिनका नाम ऊपर लिया गया है. हुमा कुरैशी की नेटफ्लिक्स सीरीज ‘लीला’ ने एक डिस्टोपियन दुनिया दिखाने की ठीकठाक कोशिश की थी. मगर फिर भी इंडियन सिनेमा में इस तरह के कंटेंट की कमी तो है ही.
लेकिन अपने बोल्ड एक्स्परिमेंट्स के लिए मशहूर तमिल सिनेमा से अब एक ऐसी फिल्म आ रही है जिसकी कहानी, सस्पेंस, फील और विजुअल आपको उन इंटरनेशनल फिल्मों की याद दिलाएगा, जिनमें नजर आया पोस्ट-एपोकलिप्स संसार नजरों को बांध लेने वाला है. फिल्म का नाम है ‘कलियुगम’ और इसका ट्रेलर हाल ही में आया है.
खाना-पानी नहीं तो कितनी बचेगी इंसानियत?
‘कलियुगम’ का ट्रेलर साल 2064 की कहानी कहता है. और एक ऐसे संसार में ले जाता है जहां खाना और पानी बहुत कम हैं. ट्रेलर में एक ऐसा शहर दिखता है जहां सबकुछ उजड़ चुका है और लोग कंटेनर में घर बनाकर रहते दिखते हैं. जहां टिन के कैन में भरकर खाने के आइटम मिल रहे हैं, जिनपर भीड़ की भीड़ टूट पड़ती है. एक किरदार कहता है- ‘क्या हम कायरों की तरह भूखे मर जाएंगे? या लड़ते हुए मरेंगे? ये फैसला हमारे हाथ में है…’
लेकिन अगले ही पल इस कहानी में फ्यूचर के हथियारों से लैस, मास्क पहने हुए सिपाही भी दिखते हैं. ये कौन सी फोर्स है, इसका काम क्या है, ये आपको ट्रेलर में नहीं पता चलता. इनमें से एक सिपाही ने एक आदमी को गोली मार दी है. ट्रेलर के एक फ्रेम में, एक कमरे के अंदर कुर्सी पर कंकाल पड़ा है. देखकर लगता है कि कोई कुर्सी पर बैठा हुआ ही मरा था और इसी पर पड़ा-पड़ा कंकाल बन गया.
फिर एंट्री होती है श्रद्धा श्रीनाथ की. उन्हें देखकर लगता है कि वो किसी तरह एक सेफ हाउस में पहुंच चुकी हैं. आगे पता चलता है कि उनके साथ एक बच्चा भी है. वो इस बच्चे को समझाती हैं कि वो लोग किसी पर भरोसा नहीं कर सकते, ‘टॉम एंड जेरी’ पर भी नहीं. ‘कलियुगम’ के ट्रेलर में एक फ्रेम है, जिसमें श्रद्धा एक दीवार के आगे बैठी हैं.
दीवार पर मसाला डोसा, बटर चिकन और किमची जैसी कई डिशेज की तस्वीरें बनी हैं और उनकी रेसिपी लिखी है. शायद वो भूख से परेशान इस बच्चे को खाने की याद से इस तरह बहला रही हैं. या शायद इस खत्म होती दुनिया का खाना कुछ अलग है, और अपनी जिन्दगी में खाए खाने को वो इस तरह याद रख रही हैं. हो चाहे जो भी, लेकिन वजह जानने के लिए आपका इंटरेस्ट डेवलप होता है.
इस कहानी में एक और किरदार है, जिसे ‘कांतारा’ और ‘द फैमिली मैन’ फेम एक्टर किशोर निभा रहे हैं. जिस सेफ हाउस में श्रद्धा दिखी थीं, किशोर भी उसी में नजर आते हैं. शायद वो भी जान बचाने के लिए यहां तक पहुंचे हैं. लेकिन ये एक पोस्ट-एपोकलिप्स संसार है, जहां सिर्फ एक ही जान बचाना सबसे जरूरी है- खुद की. और किशोर के सीन्स देखकर लगता है कि वो श्रद्धा और उस बच्चे (जिसका नाम कल्कि है) किसी तरह हटा देना चाहते हैं, ताकि इस सेफ हाउस में खुद चैन से रह सकें. किशोर खूंखार क्यों नजर आ रहे हैं इसकी कोई और वजह भी हो सकती है, जो फिल्म में दिखे.
एक ऐसा समय जब पानी की बहुत कमी है, उसमें नहाते हुए अपने शरीर पर पानी गिरता महसूस कर रहे किशोर का सीन, एक अलग इफेक्ट पैदा करता है. ‘कलियुगम’ का ट्रेलर खत्म होता है तो किशोर के सामने एक और आदमी दिखता है, जो उससे पूछ रहा है कि ‘अब तो बता दो रति कहां है?’ शायद श्रद्धा के किरदार का नाम रति है. और किशोर ने उसे बच्चे समेत उन गार्ड्स के हवाले कर दिया है.
टेक्निकली मजबूत फिल्म
‘कलियुगम’ की जो चीजें सबसे पहले आपका ध्यान खींचती है वो है इसके फ्रेम्स. फिल्म को बहुत वाइड एस्पेक्ट रेश्यो में फ्रेम किया गया है. फिल्ममेकर्स इस तरह का एक्स्परिमेंट तब करते हैं जब वो स्क्रीन पर एक अनोखा संसार दिखाना चाहते हों. ‘कलियुगम’ के फ्रेम्स की सिनेमेटोग्राफी और कलर्स इसे बेहतरीन फील दे रहे हैं. साउंड डिपार्टमेंट में भी फिल्म तकनीकी रूप से मजबूत लग रही है
एक्टर्स में अभी लीड रोल कर रहे श्रद्धा और किशोर का काम ही ट्रेलर में नजर आ रहा है, लेकिन जितना दिखता है वो आपकी अटेंशन को बांध कर रखने के लिए पर्याप्त है. सबसे खास बात ये है कि ‘कलियुगम’ के डायरेक्टर और राइटर प्रमोद सुन्दर की ये पहली फिल्म है. लेकिन एक ट्रेलर से ही उन्होंने दिखा दिया है कि उनकी फिल्ममेकिंग में कितना दम है.
हिंदी में रिलीज करने की डिमांड
‘कलियुगम’ के ट्रेलर में वाकई इतना दम है कि सिनेमा फैन्स इसे देखकर खुद को एक्साइटेड होने से नहीं रोक पा रहे. इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि इंडिया में इस थीम पर अच्छा सिनेमा बहुत कम है. इंटरनेशनल लेवल को मैच करने लायक तो शायद बिल्कुल ही नहीं. मगर तमिल फिल्म ‘कलियुगम’ टेक्निकली बहुत मजबूत लग रही है. इसका संसार आंखों को डिटेल्स नोटिस करने में लगाने वाला है और सस्पेंस दिमाग को उलझाने वाला.
यही वजह है कि ट्रेलर पर कमेन्ट करते हुए कई फैन्स ने लिखा कि वो इसे हिंदी में डबिंग के साथ भी देखना चाहते हैं. आप भी ट्रेलर देखकर जरुर बताएं कि आपको कितनी अपील कर रही है. ‘कलियुगम’ की रिलीज डेट अनाउंस नहीं की गई है, लेकिन ट्रेलर आ गया है तो रिलीज भी बहुत ज्यादा दूर तो नहीं ही होगी.