11 व 12 मई को राज्य में विभिन्न स्थानों पर होगी सुनवाई
18 उत्पादों को जीआई टैग मिलने के संबंद में राज्य की ओर से किए गए आवेदनों की सत्यता के मद्देनजर केंद्रीय उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के महानियंत्रक (पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क) प्रो उन्नत पी पंडित समेत अन्य अधिकारी सुनवाई करेंगे। इस पर 11 और 12 मई को राज्य में विभिन्न स्थानों पर सुनवाई होगी।
सरकार की ओर से 13 कृषि उत्पादों और पांच हस्तशिल्प उत्पादों पर जीआई टैग प्राप्त करने के लिए केंद्रीय उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार मंत्रालय में आवेदन किया था। जिसमें 13 कृषि उत्पादों में उत्तराखंड लाल चावल, बेरीनाग चाय, काला भट्ट, गहथ, मंडुवा, झंगोरा, बुरांस शरबत, चौलाई (रामदाना), पहाड़ी तोर दाल व माल्टा, अल्मोड़ा लखौरी मिर्च, रामनगर-नैनीताल लीची, रामगढ़-नैनीताल आडू शामिल हैं।
क्या है GI tag ?
GI का पूरा मतलब Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत है। जीआई टैग एक प्रतीक है जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। जीआई टैग किसी उत्पाद की विशेषता के बताता है।
क्या हैं इसके फायदे ?
जल्द मिलेगा उत्तराखंड के 18 उत्पादों को GI tag
उत्तराखंड सरकार ने वोकल फॉर लोकल के नारे के तहत प्रदेश के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। उत्तराखंड के 18 उत्पादों को जीआइ टैग मिलने जा रहा है। प्रदेश के इन 18 उत्पादों को जीआई टैग मिलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है।