एससीओ में चीन काफी मजबूत देश माना जाता रहा है। ऐसे में भारत का इस समिट की अध्यक्षता करना चीन के वर्चस्व को चुनौती देने जैसा भी लग रहा है। वहीं रूस का इस समिट में भाग लेना भी चर्चा का विषय है क्योंकि हालही में येवगेनी प्रिगोझिन की प्राइवेट आर्मी वैगनर की बगावत के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ताकत पर सवाल उठ रहे हैं।
क्यों हुई थी एससीओ की स्थापना?
एससीओ की स्थापना साल 2001 में शंघाई में हुई थी। एक शिखर सम्मेलन में चीन, रूस, किर्गिज़ गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने इसकी स्थापना इस मकसद से की थी कि पूर्वी एशिया से हिंद महासागर तक पश्चिमी देशों का मुकाबला किया जा सके। हालांकि भारत इसका सदस्य साल 2017 में बना था, इससे पहले वह 2005 में ऑब्जर्वर की भूमिका में था।
आज का दिन देश के लिए अहम है। भारत की अध्यक्षता में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। ये सम्मेलन वर्चुअली किया जाएगा। पहले माना जा रहा था कि इस सम्मेलन का आयोजन आमने-सामने होगा, फिर मई आखिर में ये फैसला लिया गया कि ये वर्चुअली ही होगा। बता दें कि एससीओ में आठ सदस्य हैं, जिसमें भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कज़ाख़्स्तान और उज़्बेकिस्तान हैं। इसमें भारत साल 2005 में शामिल हुआ था। तब उसकी भूमिका ऑब्जर्वर की थी। इसके बाद साल 2017 में वह इसका पूर्णकालिक सदस्य बन गया।